जयपुर।आदर्श विद्या मन्दिर, जय जवान कॉलोनी, जयपुर में कक्षा 11वीं और 12वीं (विज्ञान, वाणिज्य और कला संकाय) के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों से संवाद कार्यक्रम हुआ।
सत्र के दौरान, डॉक्टर सुनील जागिड़ ने कई विचारोत्तेजक विषयों पर चर्चा की, जिनका उद्देश्य विद्यार्थियों में सीखने और नवाचार की गहन समझ विकसित करना था:
सीखने का सिद्धांत – "सीखना कैसे सीखें":
जांगिड़ ने इस बात पर जोर दिया कि असली शिक्षा तब शुरू होती है जब विद्यार्थी यह समझते हैं कि कैसे सीखना है, न कि केवल क्या सीखना है। यह कौशल प्रारंभ में ही विकसित करने से जीवन भर विकास और अनुकूलनशीलता सुनिश्चित होती है।
धाराओं की सीमाओं से परे रचनात्मकता:
इस विचार पर चर्चा की कि रचनात्मकता किसी विशेष शैक्षणिक धारा तक सीमित नहीं है। एक वाणिज्य का छात्र विज्ञान में नवाचार कर सकता है; एक कला का छात्र प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सकता है — महत्त्वपूर्ण बात मानसिकता है, धारा नहीं।
शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग:
विद्यार्थियों को यह बताया गया कि कैसे एआई सीखने के भविष्य को आकार दे रहा है — व्यक्तिगत शिक्षण उपकरणों से लेकर वर्चुअल प्रयोगशालाओं तक — और कैसे वे अपनी किसी भी धारा में रहते हुए अभी से इसके साथ जुड़ना शुरू कर सकते हैं।
मुक्त संवाद और जिज्ञासा:
सत्र का समापन एक संवादात्मक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसमें विद्यार्थियों ने भविष्य की तकनीकों, करियर विकल्पों और कौशल विकास को लेकर उत्साह और जिज्ञासा दिखाई।
इतनी ऊर्जा और नए क्षितिजों को तलाशने की तत्परता देखकर दिल को बहुत प्रसन्नता हुई। ये युवा मस्तिष्क लगातार सीखते रहेंगे, प्रश्न करते रहेंगे और समाज के जिम्मेदार व रचनात्मक योगदानकर्ता बनेंगे।

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