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आचार्य वर्धमान सागर महाराज के मंगल प्रवेश की तैयारियां जोर-शोर पर

जैन समाज निवाई

निवाई। सकल दिगंबर जैन समाज  के तत्वावधान में राष्ट्रीय संत विराग सागर महाराज के शिष्य आचार्य विनिश्चय सागर महाराज ससंघ का विज्ञातीर्थ पर मंगल प्रवेश हुआ। जिसमें श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। विज्ञातीर्थ कार्याध्यक्ष सुनील भाणजा ने बताया कि आचार्य विनिश्चय सागर महाराज का विज्ञातीर्थ पर आर्यिका ज्ञानश्री एवं ज्ञायकश्री माताजी का वात्सल्य मिलन हुआ। इस भव्य मिलन को देखकर सभी श्रद्धालुओं ने भगवान शांतिनाथ के जमकर जयकारे लगाए। जिससे आस-पास का वातावरण गूंजायमान हो गया। विज्ञातीर्थ कमेटी ने आचार्यश्री संघ की अगवानी की। विज्ञातीर्थ महिला मंडल ने आचार्यश्री के स्वागत में रंगोली सजाई एवं कलश लेकर अगवानी की। प्रवेश के बाद आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन किया गया। सायंकाल में आचार्यश्री की आरती की गई। बुधवार को प्रात:काल अतिशय क्षेत्र सहस्त्रकूट विज्ञातीर्थ पर आचार्य विनिश्चय सागर महाराज संसघ के सान्निध्य में अतिशयकारी मनोकामना पूर्ण शांतिनाथ भगवान के मस्तक पर 1008 मंत्रों द्वारा जिन सहस्त्रनाम महाशांतिधारा की गई। सहस्त्रनाम महाशांतिधारा को देखने के लिए श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ा। उसके पश्चात पूर्वाचार्यों के अर्घ समर्पित किए गए। उसके बाद आचार्यश्री की अष्ट द्रव्य से पूजा-अर्चना की गई। आचार्य विनिश्चयसागर महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि संत प्रेम-तीर्थ है, ऋषि मुनि चलते फिरते तीर्थ है, वह जिस स्थान पर बैठ जाते हैं वही स्थान तीर्थ हो जाता है। ऋषि मुनि जंगल में जाकर भी बैठ जाएं तो वहीं समवशरण लग जाता है। संत किसी को अपने पास आने का निमंत्रण नहीं देते है, लोग स्वत खींचे चले आते हैं। जैसे कमल खिलता है तो भौंरे खींचे चले आते हैं, कमल की सुगंध में खिंचाव होता है जैसे ही संत के आचरण की सुगंध में खिंचाव होता है। उन्होंने बताया की धन संपत्ति कमाना बड़ी बात नहीं है, उसे धन संपत्ति का सही उपयोग करना बड़ी बात है। लोग धन तो कमा लेते हैं पर सही उपयोग के अभाव में उसका दुरुपयोग हो जाता है। इसलिए कमाने के साथ-साथ धन का सही उपयोग भी करना आना चाहिए। धर्म केवल पूजा अर्चना तक सीमित नहीं है बल्कि आत्म, अनुशासन, सत्य, अहिंसा व पारस्परिक सम्मान के व्यवहार में प्रकट होता है। गुरु की वाह-वाह करने से मोक्ष प्राप्त नहीं होता है, गुरु के बताए मार्ग पर चलने से मोक्ष रूपी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। जो आपसे जलते हैं, उनसे घृणा कभी नही करें। प्रवचन के दौरान उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर होकर आचार्य विनिश्चय सागर महाराज के उद्घोष लगाए। जिससे आस-पास का वातावरण को धर्ममय हो गया। सायंकाल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि आचार्य वर्धमान सागर महाराज का 14 दिसम्बर को भव्य मंगल प्रवेश होगा। जिसको लेकर तैयारियां जोर-शोर पर चल रही है। इस दौरान महेंद्र चवरियां, हितेश छाबडा, सुशील आरामशीन, बंटी झांझरी, अरविंद ककोड़, सुनील भांणजा, ओमप्रकाश ललवाडी, डब्बू संघी, नितेश झिलाय, गिर्राज जैन, नवीन जैन व लवेश पाटनी सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।

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