जयपुर। जयपुर विकास प्राधिकरण ने पिछली गहलोत सरकार के कार्यकाल के अंतिम 9 दिनों में प्रदेश के 1109 पत्रकारों के साथ बड़ी धोखाधड़ी को अंजाम दिया है। प्राधिकरण के संसाधन विकास एवं समन्वय उपायुक्त जगदीश नारायण यादव के शपथपूर्वक घोषणा पत्र से इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश हो गया है। प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम आने और गहलोत सरकार के विदा होने के साथ ही यादव ने प्राधिकरण की ओर से अधिकारिक घोषणा की कि पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, पत्रकार नगर, नायला में किसी भी व्यक्ति से किसी प्रकार की बुकिंग या एडवांस राशि प्राधिकरण ने जमा ही नहीं की है। साथ ही जेडीए की अधिकारिक वेबसाइट से भी 1 अक्टूबर, 2023 को रविवार के दिन गुपचुप में लांच की गई गहलोत के बड़े फोटो लगी इस योजना को अब गायब किया जा चुका है।
बेचारे 1109 पत्रकारों को गहलोत सरकार ने अपने चुनावी प्रचार अभियान का हिस्सा बनाने के लिए नायला में भूखंड देने का सपना दिखाया था और उनसे दस- दस हजार रुपए भी वसूले थे, लेकिन चुनाव में कांग्रेस के हारने के तुरंत बाद जेडीए का यह घोषणा पत्र पत्रकारों के साथ हुई बड़ी धोखाधड़ी को उजागर कर रहा है। मजे की बात है कि प्रदेश की सत्ता में आने के साथ ही भाजपा की सरकार ने घोषणा की थी कि वह कांग्रेस सरकार के अंतिम छह माह में हुए निर्णयों और घोटालों की जांच कराएगी। इसके लिए बाकायदा ऊर्जा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर की अध्यक्षता में चार मंत्रियों की एक मंत्रिमंडलीय उप समिति का भी गठन किया था। लेकिन सरकार गठन के डेढ़ साल बाद भी गहलोत सरकार के घोटालों और इस समिति की रिपोर्ट का अता पता नहीं है।
कांग्रेस सरकार के मंत्रियों के दबाव में जेडीए अधिकारियों के अनैतिक कारनामों का पत्रकारों को पहले ही पता था, लेकिन जब से जेडीए उपायुक्त यादव के इस हलफनामे का खुलासा हुआ है, धोखाधड़ी के शिकार पत्रकारों के समक्ष अनेक सवाल खड़े हो गए हैं। धोखाधड़ी का आभास होने के साथ ही कुछ आवेदक पत्रकारों ने जेडीए के जोन 13 में प्रार्थना पत्र देकर अपने जमा कराए दस हजार रुपए लौटाने की मांग की, लेकिन उन्हें भी कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। अनेक पत्रकारों को संदेह है कि उनसे जमा किया गया रुपया किसी नेता को चुनाव खर्च में तो नहीं दिया गया है या पत्रकारों से योजना में भूखंड के नाम पर फार्म भराने वाले पत्रकार नेताओं को यह रुपया सौंपा गया है। आखिर क्यों जेडीए अधिकारियों ने कांग्रेस सरकार के विदा होते ही इस योजना और इस योजना के आवेदकों से कोई बुकिंग राशि लेने से इनकार कर दिया।
रेरा में दिए घोषणा पत्र से हुआ खुलासा
प्रदेश के भूमाफियाओं पर नियंत्रण और भूमि खरीददारों के हितों के संरक्षण के लिए गठित रियल एस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी में जेडीए की ओर से अधिकृत उपायुक्त जगदीश नारायण यादव ने यह शपथ सह घोषणा पत्र 27 दिसम्बर 2023 को कांग्रेस सरकार के घोटाले पर पर्दा डालने के लिए प्रस्तुत किया है। केन्द्र सरकार के रेरा कानून और प्रदेश के रेरा नियमों के अनुसार कोई भी भू विकासकर्ता रेरा प्राधिकरण में पंजीयन के बिना किसी भी योजना में भूखंडों के न तो आवेदन ले सकता है और न ही किसी प्रकार का विज्ञापन प्रकाशित कर आवेदकों से किसी प्रकार की अग्रिम राशि जमा कर सकता है। दरअसल कांग्रेस सरकार के दबाव में जेडीए ने आवेदकों से दस- दस हजार रुपए तो वसूल लिए, लेकिन जब ऐसा करके जेडीए अधिकारी फंसते नजर आए तो उन्होंने रेरा के समक्ष ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया। बाकायदा इसके लिए जगदीश नारायण यादव के जरिये जेडीए ने शपथपूर्वक घोषणा भी की कि किसी से कोई अग्रिम या बुकिंग राशि जमा नहीं की गई है।
वर्ष 2010 की योजना को बताया नया प्रोजेक्ट
गौरतलब है कि पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला योजना प्रदेश के पत्रकारों की वर्षक्ष 2010 की योजना है, जिसमें चार आईएएस और अनेक वरिष्ठ पत्रकारों की संवैधानिक समिति ने 571 पत्रकारों को पात्र घोषित कर जेडीए को भूखंड देने के निर्देश दिए थे। वर्ष 2013 में सभी पात्र आवेदकों को लॉटरी निकालकर भूखंड आवंटित कर दिए गए थे और अग्रिम राशि के डिमांड ड्राफ्ट जमा कर भूखंड स्वामी बना दिया था। उस समय तक प्रदेश में रेरा कानून भी लागू नहीं थे। रेरा में दिए हालिया हलफनामे में जेडीए ने इस योजना को बिलकुल नया प्रोजेक्ट घोषित किया है, जिसमें 1 जनवरी, 2024 को रेरा पंजीयन के बाद आवेदन लिए जाने हैं।
हाई कोर्ट के यथास्थिति आदेश का भी उल्लंघन
वर्ष 2010 की इस योजना और इसके आवंटन के सम्बन्ध में राजस्थान उच्च न्यायालय ने 5 अक्टूबर, 2023 को यथास्थिति कायम रखने के आदेश दे रखे हैं, लेकिन जेडीए के इस घोषणा पत्र में कोर्ट के यथास्थिति आदेश को भी उलट दिया है और पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला को नया प्रोजेक्ट बताते हुए किसी प्रकार का आवंटन या राशि जमा होने से इनकार किया गया है। राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इससे पहले वर्ष 2013 में भी जेडीए को आदेश दिए थे कि योजना के पात्र एवं सफल आवंटियों को भूखंड दिए जाएं, लेकिन जेडीए ने आज दिन तक किसी आवंटी को भूखंड का कब्जा नहीं दिया है।
जेडीए ने गलती नहीं, किए गुनाह पर गुनाह
राज्य सरकार के 20 अक्टूबर, 2010 के आदेश में निर्धारित पात्रताओं के खिलाफ अतिरिक्त पात्रता ब्रोशर में जोड़ी। जिसे हाई कोर्ट में जेडीए की क्लेरिकल मिस्टेक बताया गया। इस क्लेरिकल मिस्टेक के चलते 571 आवंटियों को आज तक न्याय नहीं दिया गया।
वर्ष 2013 के उच्च न्यायालय के आदेश, जिसमें विधि सम्मत सभी पात्र एवं सफल आवंटियों को भूखंड का कब्जा देने के निर्देश दिए गए, की आज तक पालना नहीं की गई।
वर्ष 2017 में योजना की भूमि को ही इकॉलोजिकल घोषित कर आवंटियों को एक और मानसिक प्रताड़ना दी गई, जिसे आवंटियों की पड़ताल के बाद गैर इकॉलोजिकल साबित किया गया। इस गुनाह को भी क्लेरिकल एरर कहकर दबा दिया गया।
आवंटियों को दस साल इंतजार कराने के बाद 1 अक्टूबर, 2023 को रविवार के दिन हाई कोर्ट का नाम लेकर योजना के आवंटन निरस्त करने का प्रयास किया और आवंटियों को किसी प्रकार की सूचना दिए बिना उन्हीं भूखंडों पर नए 1109 आवेदन जमा किए।
1 अक्टूबर को रविवार के दिन, 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के राष्ट्रीय अवकाश के दिन व्यक्तिगत नेटवर्क के जरिये व्यक्ति विशेष को सूचना देकर आवेदन जमा किए और तीसरे दिन 3 अक्टूबर को आवेदन बंद कर दिए गए। 4 अक्टूबर को एक ही दिन में 1109 आवेदनों की जांच पूरी कर 5 अक्टूबर को नई लॉटरी निकालने का प्रयास किया, जिसे हाई कोर्ट ने यथास्थिति के आदेश देकर रोक दिया।
पत्रकारों के साथ धोखाधड़ी का यह घोटाला इतनी तेजी से किया गया कि एक अक्टूबर को रविवार के दिन ही नगरीय विकास विभाग से आदेश जारी कराया गया। उसी दिन जेडीए में इसकी पालना करा दी गई। बिना किसी आम सूचना के 1 अक्टूबर को ही ऑनलाइन शुरू कर दिए गए, जिसे तीसरे दिन हाई कोर्ट खुलने के साथ ही बंद कर दिया गया।
पकड़े जाने पर कार्रवाई के डर से 1 अक्टूबर को जेडीए की वेबसाइट पर जारी योजना के ब्रोशर के बिंदु 14 पर यह भी लिखा गया कि पूरी प्रक्रिया हाई कोर्ट में विचाराधीन प्रकरणों के निर्णय के अध्यधीन रहेगी।
27 दिसम्बर, 2023 को जेडीए के उपायुक्त जगदीश नारायण यादव ने रेरा प्राधिकरण में शपथपूर्वक घोषणा की कि योजना में किसी से कोई बुकिंग या अग्रिम भुगतान नहीं लिया गया है और यह योजना उनका नया प्रोजेक्ट होगी, जिसमें रेरा पंजीयन के बाद बुकिंग की जाएगी।

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