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SNG ग्रुप के बिल्डर सत्यनारायण गुप्ता की बेटी बोली पुलिस भूमाफिया के साथ मिलकर मेरे पिता को बर्बाद करने पर तुली


- 84 मामले दर्ज होने का हवाला देकर पुलिस के हिस्ट्रीशीट खोलने के मामले में बेटी ने कहा- 90% मामले झूठे थे, इसलिए खत्म भी हो चुके हैं, पुलिस बंद मामलों को खोल खोल कर कर रही खेल

जयपुर ।पुलिस ने बिल्डर सत्यनारायण गुप्ता (SNG) की अचानक हिस्ट्रीशीट खोलकर जो खेल किया, उसमें बिल्डर की बेटी ने मीडिया के सामने पिता का पक्ष रखा। सत्यनारायण गुप्ता की बेटी मीनल ने बताया कि उनके पिता पर दबाव बनाने के लिए एफआईआर पर एफआईआर दर्ज की जा रहीं हैं। अधिकतर मामले झूठे थे, जिनमें या तो एफआर लगी या कोर्ट में खत्म हो गए। उसका कहना है कि पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, कुंवर राष्ट्रदीप, IPS (अतिरिक्त पुलिस आयुक्त) की तरफ से मेरे पिता पर दबाव बनाया जा रहा है, कि वे अपने पार्टनर्स के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT), जयपुर बेंच में दायर कंपनी याचिका संख्या 9 /241-242/JPR / 2022 (सलंग-1) और अवमानना याचिका संख्या 01 / 425 / JPR / 2022 को वापस ले लें। पुलिस सत्यनारायण गुप्ता को पकड़कर जबरदस्ती खाली कागजों पर भी हस्ताक्षर करवाने के प्रयास में जुटी है। आरोप है कि इससे पहले भी 19 जनवरी 2022 को जयपुर पुलिस ने गिरफ्तारी का भय दिखाकर खाली कागजों पर हस्ताक्षर करवाए थे। जिसकी शिकायत डीजीपी को कर दी थी। उन्हीं हस्ताक्षरों का दुरुपयोग कर सत्यनारायण गुप्ता को खुद की कंपनी SNG के डायरेक्टर से हटा दिया गया और संपत्तियां खुर्दबुर्द कर दी गई। सत्यनारायण गुप्ता की बेटी ने विवाद का मूल कारण बताया कि 2012 को उसके पिता ने सिल्वर सोइल इंडस्ट्रियल पार्क प्राइवेट लिमिटेड नाम से ताराचंद चौधरी के साथ मिलकर कंपनी बनाई थी। धन की व्यवस्था के लिए श्रीकृष्ण मूंदड़ा को जोड़ा था। 200 बीघा भूमि पर प्राइवेट इंडस्ट्रियल पार्क स्थापित करना था। तीनों के बीच महत्वपूर्ण निर्णयों में सभी की सहमति आवश्यक थी, बाद में वे एक तरफा फैसले करने लगे।

इस मामले इस मामले में NCLT के वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश सेज़वानी ने SNG का पक्ष रखते हुए बताया कि सारा विवाद सत्यनारायण गुप्ता की तरफ से दायर किए गए वाद के कारण उपजा है। कल इन मामले की सुनवाई है। ऐसे में गुप्ता के विरोधियों को डर सता रहा है, वे पुलिस के जरिए पुराने मामलों को फिर से खुलवा खुलवा कर हिस्ट्रीशीट खुलवा दी। जबकि ये कोई आपराधिक मामले नहीं थे, सिविल डिस्प्यूट थे। हर बिल्डर के साथ कस्टमर का विवाद रहता है। समय के साथ धीरे- धीरे ये सैटल हो जाते हैं। सत्यनारायण गुप्ता के पार्टनर मूंदड़ा ने उनके खिलाफ एक बार सात मामले दर्ज कराए थे। उनमें एफआर लग चुकी थी, इसके बावजूद उनको वापस खुलवा दिया। पुलिस इस मामले में दबाव बनाने में जुटी है। 

पिता के विरोधियों ने बच्चों को भी बनवाया आरोपी:

सत्यनारायण गुप्ता की बेटी मीनल ने बताया कि उसके पिता ने जब इंडस्ट्रियल पार्क और अन्य बिजनेस किया तब हम बच्चों की उम्र महज 12 साल थी। छोटा भाई 10 साल का था। अब पुलिस दोनों बच्चों को भी उस समय के मामलों में शामिल कर आरोपी बनाने पर तुली है, FIR में बच्चों का नाम लिख लिया है। हैरानी की बात यह है कि, जब हम बच्चे 10 और 12 साल के थे, तब हम तो समझते तक नहीं थे जमीन धोखाधड़ी क्या होती है। पुलिस हमारे परिवार को अपराधी बनाने पर तुली है।

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