जयपुर/दौसा अधिवक्ता परिषद राजस्थान, जयपुर प्रांत के प्रांत अध्यक्ष प्यारेलाल, महामंत्री अभिषेक सिंह और क्षेत्रीय मंत्री कमल परसवाल का आज दौसा जिले में प्रवास हुआ। इस अवसर पर परिषद पदाधिकारियों ने अधिवक्ताओं के साथ संगठनात्मक संवाद कर उन्हें परिषद की गतिविधियों से जोड़ा तथा हाल ही में राजस्थान विधान सभा से पारित राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025 पर सारगर्भित चर्चा की
महामंत्री अभिषेक सिंह ने कहा कि यह विधेयक केवल एक विधायी निर्णय नहीं, बल्कि राष्ट्र और समाज की सांस्कृतिक सुरक्षा की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि यदि सनातन संस्कृति को कमजोर या समाप्त करने के प्रयास सफल हो जाते हैं, तो केवल समाज की आस्था और परंपराएँ ही नहीं, बल्कि देश की भौगोलिक और सांस्कृतिक पहचान भी बदल जाएगी। समाज की आत्मा भूमि मात्र से नहीं, उसमें बसने वाली संस्कृति और नागरिकों से निर्मित होती है। वर्तमान परिदृश्य में अनेक स्थानों पर हिंदुओं के लिए सामान्य जीवन जीना कठिन हो चुका है। ऐसे में यह विधेयक समाज की रक्षा का सुसंगत उपाय है।
क्षेत्रीय मंत्री कमल परसवाल ने संगठन की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अधिवक्ता परिषद समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय और संवैधानिक अधिकार पहुँचाने का संकल्प लिए हुए है। संगठन का वास्तविक कार्य केवल अधिवक्ताओं के हित तक सीमित नहीं, बल्कि उन्हें राष्ट्र निर्माण और नागरिक कर्तव्यों से सतत जोड़ना है। उन्होंने अधिवक्ता धर्म को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि युवा अधिवक्ता समाज में न्याय के वाहक और संविधान की आत्मा के रक्षक बनें।
प्रांत अध्यक्ष प्यारेलाल ने अधिवक्ताओं को विशेषकर नवप्रवेशी युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि अधिवक्ता धर्म केवल न्यायालय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नागरिक कर्तव्यों और संगठनधर्म के साथ जुड़कर राष्ट्रहित में व्यापक भूमिका निभाने का आह्वान करता है।
बैठक में बार के वरिष्ठ सदस्य दुर्गा प्रसाद सैनी ने कहा कि दौसा सहित राजस्थान के विभिन्न जिलों में धर्मांतरण गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। यह विधेयक लोभ, लालच और दबाव के माध्यम से होने वाले इन प्रयासों पर प्रभावी रोक लगाने का कार्य करेगा।
बैठक में वरिष्ठ अधिवक्ता अभय शंकर शर्मा, कमलेश बोहरा, मक्खन शर्मा, रामेश्वर शर्मा, अंजली कानखेड़िया, सुनीता मीणा सहित अनेक अधिवक्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।



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