ज्योतिर्विद डॉ०लखन शर्मा(पूर्व प्रदेशाध्यक्ष)
भारत संस्कृत परिषद (विहिप), राजस्थान
1.*अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर, सोमवार के दिन मान्य रहेगा,* क्योंकि पञ्चाङ्ग के अनुसार, अहोई अष्टमी की तिथि, इस बार 13 अक्टूबर की दोपहर 12: 24 PM पर आरम्भ होगी और इसका समापन 14 अक्टूबर को सुबह 11: 09 AM पर होगा। यद्यपि 'तिथि उदयात् मान्यता के सिद्धान्त' से 14 अक्टूबर को भी मानी जायेगी, तथापि *सन्तानों की सर्वतोमुखी उन्नति एवं सुखी दीर्घायु जीवन के निमित्त माताओं द्वारा किये जाने वाले *अहोई अष्टमी के * व्रत -पूजन** *इत्यादि 13 अक्टूबर सोमवार को ही होंगे।* *अहोई माता की पूजा का शुभ मुहूर्त सायं 17: 53 से लेकर शाम 19:08 के मध्य माना गया है।
2. 14 अक्टूबर मंगलवार, कार्तिक कृष्ण नवमी को प्रातः 11:54 से 15 अक्टूबर प्रातः 10: 03 तक *पुष्य नक्षत्र* रहेगा, अतः *सोना - चाँदी के आभूषण, सिक्के एवं लेखा पुस्तिका / बही खाता आदि क्रय करने के मुहूर्त्त* इस प्रकार रहेंगे।
(i) मंगलवार :- दोपहर 12:05 से 13:17, 15:17 से 16: 44,
19:44 21:27 के मध्य
(ii) बुधवार :- प्रातः 06:38 से 09: 30 एवं
11:00 से 12:00 दोपहर के मध्य
3. धन त्रयोदशी (धनतेरस) / धन्वन्तरी-पूजन एवं यम-दीपदान मुहूर्त्त* :- (i) कार्तिक कृष्ण पक्ष द्वादशी 18 अक्टूबर शनिवार को है, *इसी दिन दोपहर 12:18 से शनि-प्रदोषयुक्त त्रयोदशी आरम्भ हो जायेगी, अतः 13.40 से 16.40 तक *गादी -स्थापना* का मुहूर्त्त है। यमदीपदान का मुहूर्त्त सायं 18:10 से19:40 के मध्य रहेगा I *धन्वन्तरी पूजन* का शुभ मुहूर्त्त 19 अक्टूबर रविवार प्रातः 09:31 से 12.22 दोपहर के मध्य तक उत्तम रहेगा।
4. दस महाविद्यासाधना एवं भैरव -हनुमन्त पूजन* हेतु 19 अक्टूबर (काली चौदस ) ही उत्तम है। *नरक चतुर्दशी 20 अक्टूबर प्रातः5:15 से 06:40 के मध्य, रूपचौदस के अभ्यङ्ग स्नान का उत्तम मुहूर्त्त है।
5. ॥ दीपावली महालक्ष्मी पूजन ॥
*20 अक्टूबर 2025 सोमवार को *प्रदोष व्यापिनी अमावस्या तिथि दोपहर पश्चात् 15:44 से प्रारम्भ हो जायेगी* और यह 21 अक्टूबर मंगलवार को सायं 16:26 मिनट तक रहेगी। ध्यातव्य है कि21 अक्टूबर को प्रदोष काल में, विधिवत हवन-पूजन अनुष्ठान हेतु अमावस्या की व्याप्ति नहीं हो पा रही है, अतः *'दीपावली महालक्ष्मी -गणपति- सरस्वती त्रय' एवं कुबेरादि देवपूजन हेतु ज्योतिषीय शुभ मुहूर्त्त* निम्नांकित रहेंगे। *अर्थात् दीवाली का महालक्ष्मी पूजन 20 अक्टूबर को ही उत्तम रहेगा, जिसमें दोपहर 15:44 से लेकर रात्रि पर्यन्त विभिन्न श्रेष्ठ मुहूर्त्तों में सुविधानुसार स्थिर लग्नों एवं चौघड़ियों में पूजा अत्यन्त शुभ रहेगी।
(i)- 20 अक्टूबर को सायं 19:32 से महालक्ष्मी पूजन आरंभ कर सकते हैं l*-.
(ii)- निशिथकाल रात्रि *20 अक्टूबर 22.48 से मध्यरात्रि बाद 01:57 (21 अक्टूबर रात्रि lSTमान्य) के मध्य भी उत्तम चौघड़िये रहेंगेl*
(iii)- *महानिशिथ काल 23:58 से 00:48* के मध्य भी उत्तम मुहूर्त्त है।
(iii)- इसी क्रम में *सिंह लग्न में रात्रि 02.05 (21 अक्टूबर रात्रि IST मान्य) से महालक्ष्मी पूजन* आरंभ के लिए श्रेष्ठ रहेंगे।
6- गोवर्धन -पूजा एवं अन्नकूट उत्सव :- गोवर्धन पूजा ?का श्रेष्ठ समय, *21 अक्टूबर मंगलवार को सायं 19:40 से 21:12 के मध्य रहेगा* और *अन्नकूट उत्सव प्रातः 11:00 से 12:15 दोपहर के मध्य* सम्पन्न होगा।
7- भाईदूज एवं यम-द्वितीया :- भैयादूज का पावन पर्व *23 अक्टूबर गुरुवार को प्रातः 10:08 से 13:00 दोपहर के मध्य* सम्पन्न होगा।
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