पृष्ठभूमि
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ नामक आतंकी संगठन ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी संगठन है। यह संगठन पाकिस्तान के समर्थन और संरक्षण में काम करता है। हमले के बाद राष्ट्रीय जनाक्रोश चरम पर पहुंच गया, और सरकार पर जवाबी कार्रवाई का दबाव बढ़ गया।
प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता में आपातकालीन बैठकें हुईं। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने सटीक जानकारी दी कि हमलावर पाकिस्तान स्थित आतंकी शिविरों में प्रशिक्षित हुए थे। इसके बाद एक रणनीतिक और सीमित सैन्य अभियान की रूपरेखा तैयार की गई।
ऑपरेशन सिंदूर: नामकरण और उद्देश्य
ऑपरेशन का नाम "सिंदूर" रखा गया, जो एक सांकेतिक और भावनात्मक संदेश देता है। सिंदूर भारतीय संस्कृति में विवाहित महिलाओं के सुहाग का प्रतीक होता है। पहलगाम हमले में मारे गए अधिकांश पुरुषों की पत्नियां विधवा हो गईं, उनके माथे का सिंदूर मिट गया। यह नामकरण भारत की संवेदनशीलता और प्रतिशोध के भाव को दर्शाता है।
ऑपरेशन सिंदूर का प्रमुख उद्देश्य था – आतंकियों के प्रशिक्षण शिविर, लॉजिस्टिक सपोर्ट केंद्र और हथियार डिपो को नष्ट करना, ताकि भविष्य में ऐसे हमलों की पुनरावृत्ति न हो सके।
रणनीति और क्रियान्वयन
ऑपरेशन सिंदूर 7 मई 2025 को रात 1:05 बजे शुरू हुआ और लगभग 25 मिनट तक चला। भारतीय वायुसेना के अत्याधुनिक राफेल विमानों ने इसमें भाग लिया। इन विमानों से SCALP और HAMMER जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें दागी गईं। इसके अलावा, अत्याधुनिक ड्रोन और रडार जैमिंग तकनीक का भी उपयोग किया गया।
ऑपरेशन के दौरान निम्नलिखित स्थानों को निशाना बनाया गया:
- मुरिदके (लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय)
- बहावलपुर (जैश-ए-मोहम्मद का अड्डा)
- कोटली और भिंबर (पीओके में आतंकी प्रशिक्षण शिविर)
- मुज़फ्फराबाद (लॉजिस्टिक सपोर्ट हब)
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इन ठिकानों की गतिविधियों पर लंबे समय से नजर रखी थी। हमले से पहले पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय किया गया, जिससे भारतीय विमानों को कोई नुकसान नहीं हुआ।
परिणाम
ऑपरेशन सिंदूर के परिणामस्वरूप 70 से अधिक आतंकवादी और उनके कमांडर मारे गए। बड़ी मात्रा में हथियार और विस्फोटक नष्ट कर दिए गए। पाकिस्तान ने 31 नागरिकों की मौत और 46 के घायल होने का दावा किया, वहीं भारत ने पुष्टि की कि सभी लक्ष्य आतंकी ढांचे थे और नागरिकों को नुकसान पहुँचाना उद्देश्य नहीं था।
भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह एक सीमित और सटीक सैन्य कार्रवाई थी, युद्ध घोषित करने का प्रयास नहीं। इस कार्रवाई के बाद भारतीय जनता में संतोष और राष्ट्रीय गौरव की भावना देखी गई।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने इस कार्रवाई को 'भारतीय आक्रामकता' करार दिया और दावा किया कि उसने 5 भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया। हालांकि भारत ने इन दावों को झूठा और प्रचार मात्र बताया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की, लेकिन उसे ठोस समर्थन नहीं मिला।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को स्वीकार किया, लेकिन दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की। चीन ने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने को कहा। संयुक्त राष्ट्र ने भी कूटनीतिक समाधान का समर्थन किया।
जनता और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
भारत में इस कार्रवाई का व्यापक समर्थन मिला। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा – "भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। आतंक के खिलाफ हमारी लड़ाई निर्णायक होगी।"
विपक्षी दलों ने भी इस ऑपरेशन की सराहना की और शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में एक नया अध्याय है। यह न केवल एक सैन्य विजय थी, बल्कि एक सशक्त संदेश भी कि भारत आतंकवाद को किसी भी सूरत में सहन नहीं करेगा। इस ऑपरेशन ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि निर्णायक कार्रवाई की नीति अपना चुका है।
हालांकि, इस ऑपरेशन के बाद भारत-पाक रिश्तों में तनाव और बढ़ गया है, लेकिन भारत की जनता और नेतृत्व इसके लिए मानसिक रूप से तैयार दिखे। आने वाले समय में यह देखना होगा कि क्या यह कार्रवाई क्षेत्र में स्थायी शांति की दिशा में कोई बदलाव ला सकती है, या फिर संघर्ष की एक नई श्रृंखला की शुरुआत होगी।
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